PYAR TUM SAMAJH NA SAKE BY UMESH GAUTAM 






प्यार जो तुम समझ न सके 

चाहकर भी हम समझा न सके ,
गैरतो के भी हम हो ना सके और

उन्हें भी हम अपना कह न सके ,
बेवशी तो देखो जज्बातों की

कि दबी आवाज़ में भी झूठा इजहार भी हम कर न सके ,
और वो मोहब्बत की बात करके , उम्मीद करते है हमसे
जबकि वो उन्हीं से बाहर निकल न सके ....!!